1857 की क्रांति में बुलंदशहर का रहा अहम योगदान:खानपुर के तालुकदार ने नवाब मुस्तफा खान को जहांगीराबाद किले में किया स्थापित...TV Newsकल तक
Reporter Kadeem Rajput TV Newsकल तक
August 13, 2025
आजादी पाने के लिए हुई 1857 की क्रांति की शुरुआत विद्रोह से हुई। जिसने आगे चलकर क्रांति का रूप ले किया। कुछ राजघरानों ने अगर दोगलापन न किया होता तो अंग्रेजों का काम भारत से खत्म हो गया होता। क्रांति का मुख्य कारण अंग्रेजों द्वारा थोपी गयी नीतियां थी, जो चिंगारी बनती जा रही थीं। अंग्रेजों ने आर्थिक सुधार के नाम पर रैयतवाड़ी, स्थायी बंदोबस्त लाए, जिससे किसान और जमीदार दोनों अंग्रेजों के खिलाफ होने लगे। इसके अलावा सामाजिक सुधार में सती प्रथा का अंत, विधवा विवाह, पुनर्विवाह, बाल विवाह पर रोक लगाया।तकनीकी सुधार, रेल सुधार , सैन्य सुधार , पेंशन पर रोक आदि थे। जिनसे आग की चिंगारी चारों ओर फैल रही थी।
कारतूस में चर्बी ने दी चिंगारी को हवा...
अंग्रेजों ने कारतूस के कवर पर गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किया। चूंकि गाय को हम माता मानते हैं और उस कवर को मुंह से हटाना पड़ता था। इस घटना का पता जैसे भारतीयों को चला तो सुलग रही चिंगारी विस्फोट के साथ फट गई। 10 मई 1857 को मेरठ से सुलगी इस चिंगारी को बुलंदशहर के नवाबों ने प्रज्ज्वलित कर दिया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बुलंदशहर की भूमिका 1857 में, खानपुर रियासत और ब्रिटिश सेना के बीच एक महत्वपूर्ण घटना घटी। नवाब मुस्तफा खान, जिन्हें उनके उपनाम शेफ्ता से जाना जाता था। गुरावली, बुलंदशहर के भीम सिंह ने उन्हें जहांगीराबाद किले से बेदखल कर दिया था। वह मिर्जा गालिब के समकालीन थे और सम्राट बहादुर शाह जफर से उनके गहरे संबंध थे। जिसके बाद उन्हें खानपुर के तालुकदार रियासत परिवार से सहायता लेनी पड़ी।
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